खूब उड़ाई पतंग, हर जगह खिला पीला रंग, सीएए को लेकर भी की अपील

बसंत पंचमी का पर्व धर्मनगरी हरिद्वार में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। दिनभर गंगा के घाटों पर स्नान और संस्कार कर्म चलते रहे। सायंकाल होली स्थलों पर ध्वजों की स्थापना विधि विधान के साथ की गई। घरों में मां सरस्वती की पूजा हुई और पंचपुरी में पूरे दिन पतंगबाजी होती रही।बसंत पंचमी पर उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों से आए श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर स्नान करने के बाद कुशावर्त जाकर अनेक प्रकार के शुभ संस्कार संपन्न कराए। विशेषकर कुमाऊं मंडल से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन हुआ।




कुशावर्त पर मुंडन संस्कार, कर्ण छेदन और यज्ञोपवीत संस्कार शाम तक होते रहे। पर्वतीय पारंपरिक वेशभूषा में सजे पर्वतवासी अपने बच्चों के साथ संस्कार कराने हरिद्वार पहुंचे। नगरवासियों ने दिन के साथ घर में मां सरस्वती के पूजा अर्चना की। पतंगबाजी दौरान सीएए नागरिकता संशोधन कानून को लेकर समर्थन और उसके खिलाफ अपील भी गई। घर-घर में पीले चावल, पीली दाल और श्रीखंड तैयार किया गया। ज्वालापुर और कनखल में श्रीखंड को सिकरन के नाम जाना जाता है। मां सरस्वती को भोग लगाने के बाद सभी परिवार वालों ने एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण किया।


नगरवासियों ने आमतौर पर पीले वस्त्र घरों पर धारण किया। प्राचीन परंपरा के अनुसार बसंत पंचमी के दिन होली के ध्वजों की स्थापना की जाती है। सायंकाल झंडा पूजन के बाद सभी होलियों पर ध्वज फहरा दिए गए।ठीक सवा महीने बाद होली के दिन इन्हीं ध्वजों के चारों ओर अग्नि प्रज्ज्वलित की जाएगी। होली के साथ ये ध्वज भी जल जाते हैं। बसंत पंचमी को एक प्रकार से होली पर्व का शुभारंभ भी माना जाता है।